आकांक्षा
मेरे मैं की संज्ञा...
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Friday, February 24, 2012
तुम
जो नासमझ हो
निहायत ही पगले
अगर जाओगे मरने भी
मौत की बिछी चादर के ऊपर टहलते
तो ले आउंगी तुम्हे कान पकड़ कर
जीवन के धरातल पर
साथ में सिगरेट
सुलगाने
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