आकांक्षा
मेरे मैं की संज्ञा...
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Monday, November 15, 2010
गुनगुने
झागों
में
नाराज़गी
जताती
चुटकी
-
भर
घुली
मिठास
उस
चीनी
प्याले
से
उठ
रही
तन्हाई
की
खुशबू
में
एक
तरावट
की
गुंजाईश
में
बुदबुदाते
नशे
में
लिपटे
आज
फिर
उमड़
आया
प्यार
अपनी
ही
नादानियों
पर
1 comment:
M VERMA
November 16, 2010 at 5:09 AM
नादानियाँ भी मिठास लिये होती हैं
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नादानियाँ भी मिठास लिये होती हैं
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