आँखें अब ऐसे भेद खोलेंगी की उनमे ख़ुशी छलकने लगेगी
मुस्कुराता सैलाब होठों के किनारे क्षितिज के पार ले जायेगा
बस अब आवाज़ सुनाई ऐसे देगी कि कविता लिखी हो मेरे मन ने
फिर नाक के ऊपर ऐनक संभाल कर जीवन साझा करोगे तुम
हाथ बढाकर अगर छूना चाहूंगी तुम्हारी हथेली का स्पर्श
तो कमबख्त ये समय के परदे से ढकी तुम्हारी तस्वीर
रोक देगी अधर में लटकी ज़िन्दगी हमारी-तुम्हारी
मुस्कुराता सैलाब होठों के किनारे क्षितिज के पार ले जायेगा
बस अब आवाज़ सुनाई ऐसे देगी कि कविता लिखी हो मेरे मन ने
फिर नाक के ऊपर ऐनक संभाल कर जीवन साझा करोगे तुम
हाथ बढाकर अगर छूना चाहूंगी तुम्हारी हथेली का स्पर्श
तो कमबख्त ये समय के परदे से ढकी तुम्हारी तस्वीर
रोक देगी अधर में लटकी ज़िन्दगी हमारी-तुम्हारी
No comments:
Post a Comment