आकांक्षा
मेरे मैं की संज्ञा...
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Sunday, November 6, 2011
अनाम
सत्य है या मिथ्या
है भ्रम जाल सा बुना
शोर है या धुँआ
है परछाई सा अधूरा
वेग है या ठहराव
है भाव सा अनिश्चित
व्यापक है या सीमित
या है अर्नव सा गहरा
रिक्त है या इन्द्रधनुषी
या है प्यार सा धुंधला
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