आकांक्षा
मेरे मैं की संज्ञा...
Pages
Home
Monday, March 29, 2010
ये भी क्या बात हुई जीने में
सिसकियों की बाढ़ में
वोह बहता अल्हड़पन
लौटाया यह क्या नजराना
मिले दुनियाभर के ग़म
कानो में चिल्ला रही ख़ामोशी
बुलंद कर रही तेरी आवाज़
आँखों में उजली मायूसी
अब भी दिखा रही सपने हज़ार
ये भी क्या बात हुई जीने में
जब वास्ता ही न रहा इस महफ़िल से
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment