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Tuesday, July 6, 2010

5 जुलाई का भारत बंद


अरे महंगाई क्या किया हरजाई !
जनता के नाम से की अगुआई
यहाँ शोर मचा, वहां आग लगायी
और विपक्ष से निकल पड़े लेफ्ट- भाजपाई

धरना प्रदर्शन, चीख पुकार
फेंके पत्थर, तोड़ी बसें हज़ार
चक्का जाम , करोडो का नुक्सान
क्या इससे गरीब के हिस्से आई मुस्कान?

भारत बंद या बंद भारत का आह्वान
पर महंगाई की ओट में अपना गुणगान?
कौन करे इस बंद का भुगतान?

मंदी से पैदल है अर्थ-व्यवस्था
उसपर निठल्ली सरकार की सुप्त-अवस्था
महंगा राशन, न फसल, न खेती
हर तरफ सिक रहीं बस राजनीतिक रोटी

अरे नेताओ शांत प्रदर्शन करके दिखाओ
कभी प्रभात फेरी, पद यात्रा भी आज़माओ
भूख हड़ताल है बेहतर तरीका
बिन कामकाज रोके प्रदर्शन का सलीका

आमरण अनशन से शक्ति प्रदर्शित करने का दौर कुछ और ही था
ऐ.सी. में सैर करते भ्रष्ट रस में डूबे नेताओ का असाधारण आम-आदमी प्रेम कुछ और ही है!

4 comments:

  1. brilliant piece of work!! satirical yet perfectly composed!

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  2. खूबसूरत पोस्ट

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  3. ekdum sateek kaha dono side ke liye..

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  4. very well said :)
    bandhs of any kind for any reason suck.

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