Pages

Sunday, March 20, 2011

कभी ठहराव कभी खींचतान है

कभी ठहराव कभी खींचतान है
कभी दास्ताँ तो कभी विराम है
कभी रुकी सी हवा कभी पुरवाई का अभिमान है
कभी अतीत का निशान कभी सोच की उड़ान है
कभी राहेगुज़र में तू हमसफ़र है तो
कभी यह कारवां अकेला अपना जहान है
कभी ठहराव कभी खींचतान है




2 comments:

  1. कभी रुकी सी हवा कभी पुरवाई का अभिमान है
    कभी अतीत का निशान कभी सोच की उड़ान है

    कभी कुदबुदाती हलचल तो कभी शांत विराम है...
    ये तो मेरी मनोदशा का प्रत्यक्ष शाब्दिक संग्राम है |

    बहुत खूब...बहुत खूब...

    ReplyDelete
  2. isko na dude.... played with some black and white windy video shots... and slow background tracks...narrated with a beautiful voice..... majaa aa jaayega

    ReplyDelete